लेखनी प्रतियोगिता -04-Jan-2023 "खोया हीरा मिला"
रणधीर के पिता जी की सरकारी नौकरी थी। उनको सरकारी मकान अलॉटमेंट होता है। पहले उस सरकारी मकान में रणधीर का मन नहीं लगता लेकिन कुछ ही महीनों में उसके वहां बहुत अच्छे दोस्त बन जाते हैं। और उसे उस सरकारी मकान का माहौल भी बहुत अच्छा लगने लगता है क्योंकि वहां एक तो बड़े-बड़े बरगद के पेड़ थे, बरगद के पेड़ों के नीचे गोल गोल चबूतरे बने हुए थे। और सरकारी मकानों के बीच में बड़ा सा मैदान था।
रणधीर जब विद्यालय से आता था तो अपने दोस्तों के साथ उन चबूतरे पर दोपहर को खाना खाकर कैरम बोर्ड खेलता था और शाम को मैदान में चिड़ी छक्का शाम को सारे बड़े बूढ़े समझदार लोग घरों के आगे कुर्सियां लाकर बैठते थे। शाम को चारों तरफ बहुत ही रौनक रहती थी। घरों से अलग-अलग खाने की खुशबू आती रहती थी। सब मिलजुल कर प्यार मोहब्बत से रहते थे।
जब जन्माष्टमी का त्योहार आता था तो रणधीर और उसके दोस्त मैदान के बीच में सबसे चंदा लेकर जन्माष्टमी का मंदिर बनाते थे। और कॉलोनी के सारे लोग उस मंदिर में आते थे, और सब 12:00 तक पूजा करते थे। पूजा करने के बाद रणधीर और उसके दोस्त कॉलोनी में पूजा का प्रसाद बांटते थे।
ऐसे ही जब होली आती थी, तो पूरी सरकारी कॉलोनी से रणधीर और उसके दोस्त चंदा लेकर सूखी लकड़ियां टाल से लाकर होली रखते थे। और सरकारी कॉलोनी के बुजुर्ग सदस्य से होली जलवाते थे। दूसरे दिन दुल्हनडी (रंग वाली होली) पर रणधीर और उसके दोस्त घर घर जाकर अपने से बड़ों के रंग लगाकर पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे।
ऐसे ही दिवाली पर पूरी सरकारी कॉलोनी को रणबीर और उसके दोस्त रंग बिरंगी लड़ियों से सजा देते थे। और दिए मोमबत्ती जलाकर घर घर लक्ष्मी पूजा का प्रसाद बांट कर मिलजुल कर दिवाली मनाते थे।
और जब भी यह सारे दोस्त एक साथ बरगद के नीचे चबूतरे पर बैठते थे तो एक ही बात सोच कर बार-बार दुखी होते थे कि जब हम सबके पिताजी रिटायर हो जाएंगे और हमें सरकारी मकान खाली करके कहीं नए मकान में रहने जाना पड़ेगा तो यहां की बहुत याद आएगी। यहां जैसा प्यार प्रेम का माहौल जीवन में हमें फिर दोबारा नहीं मिलेगा।
और धीरे-धीरे उनका यह डर सच होने लगता है कभी किसी के पिताजी रिटायर होते हैं कभी किसी के। रणधीर के पिताजी भी रिटायर हो जाते हैं। और रणधीर को सरकारी मकान खाली करके नए मकान में जाना पड़ता है।
कुछ साल बीतने के बाद एक दिन रणधीर को दिवाली के दिनों में अपने सरकारी मकान की बहुत याद आती है, वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ पुराने घर और अपनी कॉलोनी को देखने जाता है। वहां पहुंचने के बाद उसे सब कुछ बदला हुआ मिलता है। ना कोई उसे पुराना दोस्त मिलता ना कोई पुराना परिवार ही।
रणधीर जैसे ही उदास होकर अपनी पत्नी और बेटी के साथ वापस अपने घर जाने लगता है तभी सामने से मोती नाम का एक भूरे और सफेद रंग का कुत्ता सामने से भागकर आता है और पूछ हिला हिला कर रणधीर के पैर चाटने लगता है। रणधीर खुश होकर अपनी पत्नी और बेटी को बताता है की "हम सब दोस्त और कॉलोनी के लोग इसको रोज खाना देते थे, जब यह छोटा पिल्ला था। इसने मुझे आज भी पहचान लिया।"
इस बात की खुशी उसकी पत्नी और बेटी को भी होती है। कुछ देर मोती से प्यार करने के बाद रणधीर मेन रोड पर आ जाता है। अपने घर वापस जाने के लिए ऑटो पकड़ने के लिए लेकिन मोती वहां भी आ जाता है। और रणधीर से बहुत प्यार करता है। रणधीर कुछ सोचे समझे बिना मोती को भी ऑटो में बिठा कर अपने घर ले आता है। और उसे मोती को देखकर ऐसा महसूस होता है कि पुराने घर की यादें उसके साथ दोबारा ताजी हो गई।
प्रिशा
04-Feb-2023 09:16 PM
Very nice
Reply
Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:16 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
05-Jan-2023 04:27 PM
Nice
Reply